परिचय
दस्ताना कठपुतली, हाथ में पहने जाने वाले कपड़े की कठपुतली होती है, जिसे हाथ की उंगलियों और कलाई की हरकतों से संचालित किया जाता है। यह सरल और सजीव प्रदर्शन का माध्यम है, जो मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश भी देता है।
दस्ताना कठपुतली की विशेषताएँ
आकार और निर्माण:
ये कठपुतलियाँ कपड़े, लकड़ी, और रंगीन सामग्री से बनाई जाती हैं।
इनका सिर कठोर और शरीर लचीला होता है।
संचालन का तरीका:
यह एक ही व्यक्ति द्वारा संचालित होती है।
उंगलियों और कलाई की कुशल हरकतों से इसे जीवंत बनाया जाता है।
विषयवस्तु:
प्राचीन कथाएँ, पौराणिक गाथाएँ, और लोककथाएँ प्रमुख विषय होती हैं।
समसामयिक सामाजिक मुद्दों को भी शामिल किया जाता है।
भारत में दस्ताना कठपुतलियों का क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य
ओडिशा (सखी कुंडेई नाच):
ओडिशा में "सखी कुंडेई नाच" दस्ताना कठपुतली की प्रसिद्ध शैली है।
इसे धार्मिक और सामाजिक समारोहों में प्रस्तुत किया जाता है।
केरल (पावकूथु):
यह कठपुतली शैली रामायण और महाभारत के प्रसंगों का मंचन करती है।
पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ इसका अद्भुत संयोजन होता है।
उत्तर भारत:
उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी दस्ताना कठपुतलियों का उपयोग लोकगाथाओं को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।
दस्ताना कठपुतलियों का सांस्कृतिक महत्व
लोककथाओं का संरक्षण:
यह लोककथाओं और परंपराओं को पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजने का माध्यम है।
सामाजिक शिक्षा:
इन कठपुतलियों के माध्यम से सामाजिक बुराइयों जैसे अशिक्षा, बाल-विवाह, और दहेज प्रथा के खिलाफ संदेश दिया जाता है।
मनोरंजन:
ये कला प्रदर्शन, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, मनोरंजन का प्रमुख स्रोत हैं।
धार्मिक महत्व:
धार्मिक कथाओं को प्रस्तुत करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
आधुनिक संदर्भ में चुनौतियाँ
तकनीकी प्रतिस्पर्धा:
डिजिटल मीडिया और आधुनिक मनोरंजन साधनों के कारण यह कला लुप्त हो रही है।
कला संरक्षण की कमी:
कलाकारों को आर्थिक मदद और उचित मंच नहीं मिल रहा है।
शहरीकरण का प्रभाव:
पारंपरिक कला रूपों के प्रति रुचि घट रही है।
संरक्षण के उपाय
सरकारी पहल:
कठपुतली कला को प्रोत्साहित करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
शैक्षणिक समावेश:
स्कूली पाठ्यक्रम में इस कला को शामिल करना।
तकनीकी समायोजन:
आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए पारंपरिक कथाओं को डिजिटल रूप में प्रस्तुत करना।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच:
इन कला रूपों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करना।
निष्कर्ष
दस्ताना कठपुतलियाँ भारत की समृद्ध लोक कला और संस्कृति का दर्पण हैं। इनके संरक्षण और प्रचार-प्रसार से न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत जीवित रहेगी, बल्कि नई पीढ़ी में भी इसके प्रति रुचि जागृत होगी। UPSC मुख्य परीक्षा में यह विषय भारतीय समाज और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. दस्ताना कठपुतलियों के संचालन के लिए किन अंगों का उपयोग किया जाता है?**
a) पैरों और सिर
b) हाथ और कलाई
c) केवल उंगलियाँ
d) आँखें और सिर
उत्तर: b) हाथ और कलाई
2. दस्ताना कठपुतलियों का एक प्रमुख रूप "सखी कुंडेई नाच" किस राज्य से संबंधित है?**
a) राजस्थान
b) ओडिशा
c) पश्चिम बंगाल
d) महाराष्ट्र
उत्तर: b) ओडिशा
3. केरल में दस्ताना कठपुतलियों को किस नाम से जाना जाता है?**
a) कथकली
b) पावकूथु
c) थोलपवाकूथु
d) कूडियाट्टम
उत्तर: b) पावकूथु
4. दस्ताना कठपुतलियाँ मुख्यतः किस सामग्री से बनाई जाती हैं?**
a) धातु और लकड़ी
b) कपड़ा और लकड़ी
c) मिट्टी और कपड़ा
d) प्लास्टिक और धातु
उत्तर b) कपड़ा और लकड़ी
5. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन दस्ताना कठपुतलियों के बारे में सही है?**
1. इनका उपयोग केवल धार्मिक कथाएँ प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है।
2. ये हाथ से संचालित कठपुतलियाँ हैं।
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों
d) न तो 1 न ही 2
उत्तर: b) केवल 2
6. दस्ताना कठपुतलियों का उद्भव किस काल में माना जाता है?**
a) गुप्त काल
b) मौर्य काल
c) मुगल काल
d) वैदिक काल
उत्तर a) गुप्त काल
7. दस्ताना कठपुतलियों का उपयोग आमतौर पर निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिए किया जाता है?**
a) धार्मिक और पौराणिक कथाएँ प्रस्तुत करना
b) सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरूकता फैलाना
c) मनोरंजन
d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d) उपर्युक्त सभी
8. निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य दस्ताना कठपुतलियों की परंपरा के लिए प्रसिद्ध नहीं है?**
a) उत्तर प्रदेश
b) केरल
c) जम्मू और कश्मीर
d) राजस्थान
उत्तर c) जम्मू और कश्मीर
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9. दस्ताना कठपुतलियाँ किस प्रकार की कठपुतली कला में शामिल हैं?**
a) छाया कठपुतली
b) रॉड कठपुतली
c) थ्रेड कठपुतली
d) हैंड कठपुतली
उत्तर d) हैंड कठपुतली
10. दस्ताना कठपुतलियाँ लुप्त होती कला के रूप में जानी जाती हैं। इसके संरक्षण के लिए किस सरकारी योजना का सहारा लिया जा सकता है?**
a) भारत कला संवर्धन योजना
b) संस्कृति संरक्षण योजना
c) कला संवर्धन और संरक्षण योजना
d) अंबेडकर हस्तकला एवं कला योजना
उत्तर c) कला संवर्धन और संरक्षण योजना
यूपीएससी मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न,
1. दस्ताना कठपुतलियाँ भारत की पारंपरिक लोककला का अभिन्न हिस्सा हैं। इनके सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व का वर्णन कीजिए।**
Glove puppetry is an integral part of India's traditional folk art. Discuss its cultural and social significance.**
2. दस्ताना कठपुतली कला के समक्ष आने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। साथ ही इसके संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए संभावित उपाय सुझाइए।**
Highlight the challenges faced by the art of glove puppetry. Suggest possible measures for its preservation and revival.**
3. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित दस्ताना कठपुतलियों की विविध शैलियों का वर्णन कीजिए। इनकी विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।**
Describe the diverse styles of glove puppetry practiced across different regions of India. Highlight their unique characteristics.**
4. सामाजिक परिवर्तन और जनजागरूकता के प्रसार में दस्ताना कठपुतलियों की भूमिका का आकलन कीजिए। ऐतिहासिक और समकालीन उदाहरणों के साथ उत्तर दीजिए।**
Assess the role of glove puppetry in promoting social change and spreading public awareness. Answer with historical and contemporary examples.**
5. आधुनिक प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण के युग में दस्ताना कठपुतली जैसी पारंपरिक कलाओं के संरक्षण की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।**
Discuss the need for preserving traditional arts like glove puppetry in the era of modern technology and globalization.**
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